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Tuesday 13 May 2014

क्या लिखूँ .

एक बंद पुराने कमरे में,
लिखने की कुछ कोशिश में,
एक कागज और एक कलम,
सोच में इस क्या लिखें हम।।
   
   
         गीत लिखूँ, संगीत लिखूँ
         या तेरी मेरी प्रीत लिखूँ,
         हार लिखूँ और जीत लिखूँ
        या गंगा का संध्या-दीप लिखूँ।।
        देस लिखूँ , परदेस लिखूँ ,
         तुमको जो भेजे संदेस लिखूँ।।


आँखों से जो होती बातें,
बीते सावन की  बरसातें
तन्हाई मे बीती रातें;
या लिखूँ  कोई एक कहानी
जो तुम्हे सुनाये दादी-नानी
नयी लिखूँ या  लिखूँ  पुरानी।।


                 लिखना चाहूँ हर दिन कुछ-कुछ
                  जो सबके मन को भाये,
                   ओठ  हो पुलकित, मन हर्षाये
                    भटके को रास्ता दिखलाये।।


एक बंद पुराने कमरे में,
लिखने की कुछ कोशिश में।।




20 comments:

  1. antardwand kee sahi abhivyakti .

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  2. Samajh ni aata kya likhu tere liye....gud

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक्सिडेंट हो गया ... रब्बा ... रब्बा - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. पोस्ट सम्मिलित करने के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद।

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  4. कोशिश नेक हो तो सब नेक हीं होता है
    कलम बोल उठतीं हैं
    बहुत बढ़िया

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    1. पोस्ट पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

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  5. पोस्ट को समय देने के लिए सभी का हार्दिक आभार। आपकी टिप्पणियाँ लिखने के लिए और प्रोत्साहित करती हैं।

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  6. बहुत खूब , मंगलकामनाएं आपको !!

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  7. खूबसूरत प्रस्तुति , निरंतरता बनाये रखिये

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  8. आप को स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@जब भी सोचूँ अच्छा सोचूँ

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  9. आँखों से जो होती बातें ,
    बीते सावन की बरसातें
    तन्हाई मे बीती रातें;
    आपने बहुत सुन्दर लिखा हैँ।
    आंमन्त्रण

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