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Thursday 17 December 2020

कुट्टी और अब्बा..

बचपन के दिनों की बात करूँ तो
याद करो जब
छोटी सी नोक-झोंक होने पर
ठोडी के नीचे अंगूठा छुआकर
बोल देते थे कुट्टी
तोड़ लेते थे दोस्ती इस तरह....

भूलकर अगले ही पल सब कुछ
मुंह में अंगूठा डालकर कहते थे अब्बा
बन जाते थे दोस्त दोबारा
गिले  शिकवों को छोड़कर












यदि मैं मुंह में अंगूठा अच्छी तरह से घुमाकर
बोलूंगा अब्बा
तो क्या मान जाओगे
रिश्ते काश..... अब भी इतने आसाँ होते