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Thursday 5 December 2013

पुराने पन्नों से …

ये पंक्तियाँ मैंने दो साल पहले लिखी थी, आज यूँ ही पन्ने  पलटते हुए इस पर मेरी नजर पड़ी तो सोचा शेयर करूँ आप सब के साथ। आखिरी  चार पंक्तियाँ कल ही जोड़ी। इसीलिए इसका शीर्षक " पुराने पन्नों  से " दिया।



यूँ तो चांदनी अपना दामन समेट ही चुकी है,
पर सवेरा होना अभी बाकी  है।
कुछ पायदान ऊपर चढ़ी है जिन्दगी
कामयाबी का सुरूर अभी बाकी है।।



  
           ओझिल होते हुए सपनों  की  किताब से
           एक पन्ना चुरा लिया है हमने,
           रंगो से भरे कल कि तस्वीर देखी है हमने,
            तस्वीर को हकीकत बनाना अभी बाकी  है।।


इन पथरायी आँखों ने खो दिया है
सारा यौवन उनके इंतजार  में
कल शाम ढले एक पैगाम तो आया था;
पर उनका आना अभी बाकी  है।।


          मुमकिन है कि ढूँढ ही लेंगे एक नया जहाँ,
          कि पंखों में उड़ान अभी बाकी  है।
          बर्फ से टूटती हुई नदी को,
           साहिल कि तलाश अभी बाकी है।।




Thursday 17 October 2013

फर्क नहीं पड़ता...

जब चार बरस का दीपू कोई,
ढाबे पर बर्तन धोता है
जब सड़क किनारे मुन्ना कोई
भूख के मारे रोता है:
तब मैं कहता हूँ यारों कि
मुझको फर्क नहीं पड़ता ll
     
        भारत माँ का लाल कोई जब 
        सीमा पर अपनी जान गँवाए,
        पानी के बँटवारे को लेकर जब
        खेत किसी का जुत ना पाए
        मैं उदासीन, मैं व्यसनलीन
        मुझको फर्क नहीं पड़ता ll




भ्रष्ट तंत्र व भ्रष्ट सरकार
नित ही होते बलात्कार
मानवता है शर्मसार;
कौन करे इसका उद्धार
तब भी मैं ये ही कहता हूँ
मुझको फर्क नहीं पड़ता ll 


     देश को अच्छा नेता चाहिए
     यह कहने तक बस मेरी हिस्सेदारी,
     बाकि सब उनकी जिम्मेदारी
     देश पर क्यूँ न आफत टूटे,
     पर मेरी सुख-सुविधा न छूटे
     मैं अपनी मस्ती में रहता हूँ
     मुझको फर्क नहीं पड़ता ll 

जब नेटवर्क में अड़चन आये
ट्विटर, फेसबुक खुल ना पाए
आँधी और बारिश के कारण
चंद मिनट बिजली ना आये
तब यारों मुश्किल है कहना कि
मुझको फर्क नहीं पड़ता ll  

Tuesday 12 March 2013

दूसरी दुनिया में अपने ....

इंसानों की इस दुनिया में,
कुछ लोग आपके बेहद
करीब होते हैं  l
पर अचानक हो जाते हैं
शुन्य में विलीन कहीं;
बिना बताये, चुपके से
जैसे की कभी थे ही नहीं l l

         धीरे - धीरे भर जाते हैं आपके घाव,
         और उनकी यादें भी धुंधलाने लगती हैं l
         पर वो नहीं भूलते आपको,
         शामिल हैं वो आपकी खुशियों में,
         और दुःख में भी l

दिन और रात देखते हैं आपको
कठिनाइयों से जूझते हुए,
सीढ़ी दर सीढ़ी ऊपर चढ़ते हुए;
करते हैं वो सिफारिश ऊपर वाले से,
आपकी खुशियों के लिए।
     
         निगरानी है उनकी आपकी हर हरकत पर,
         अच्छी और बुरी दोनों ही।
         आपका पथ प्रकाशित करें वो लोग
         जो इंसानों की इस दुनिया में;
          कभी आपके बेहद करीब होते हैं।।
                                                      -दादा जी को समर्पित