याद कभी तो करते होंगे
चुभती सी तन्हाई में,
या कागज और स्याही में,
या मौसम कि पहली बारिश में,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
ये पिछले जनम की तो बात नहीं,
भूल गए वो बातें सारी,
ऐसा मुझको विश्वास नहीं;
रह-रहकर आईने से,
बात कभी तो करते होंगे,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
वो कहते हैं उस बगिया में,
अब कोई पहरेदार नहीं,
वो कहते हैं उस बग़िया में,
होती अब बरसात नहीं,
मैं कहता हूँ उस बगिया में,
फूल अभी तक खिलते होंगे
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
तन्हा रस्तों पर चल ना पाओगे,
ऐसी तो कोई बात नहीं।
गिरे अगर उठ न पाओगे,
ऐसी भी कोई बात नहीं
पर फिर भी.… मिल जाएँ एक मोड़ पर यूँ ही,
फ़रियाद कभी तो करते होंगे,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
चुभती सी तन्हाई में,
या कागज और स्याही में,
या मौसम कि पहली बारिश में,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
ये पिछले जनम की तो बात नहीं,
भूल गए वो बातें सारी,
ऐसा मुझको विश्वास नहीं;
रह-रहकर आईने से,
बात कभी तो करते होंगे,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
वो कहते हैं उस बगिया में,
अब कोई पहरेदार नहीं,
वो कहते हैं उस बग़िया में,
होती अब बरसात नहीं,
मैं कहता हूँ उस बगिया में,
फूल अभी तक खिलते होंगे
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।
तन्हा रस्तों पर चल ना पाओगे,
ऐसी तो कोई बात नहीं।
गिरे अगर उठ न पाओगे,
ऐसी भी कोई बात नहीं
पर फिर भी.… मिल जाएँ एक मोड़ पर यूँ ही,
फ़रियाद कभी तो करते होंगे,
मुझे पता है;
याद कभी तो करते होंगे।।