कल रात तुझे सपने में देखा,
चाँद जमीं पर चलते देखा l
स्वर्ग लगे है कितना सुन्दर,
आज यहीं धरती पर देखा ll
तुम हँस दो तो जीवन चलता,
तुम गाओ तो बहती पवनें,
कैसे अंकुर वृक्ष है बनता,
नभ से जीवन झरते देखा ll
तुमको पाना ध्येय यही अब,
राह तू ही मंजिल तू ही अब l
नित-नित अपने सपनों को,
नयी चुनौती पढ़ते देखा ll
धर्म-ग्रन्थ का तू ही सार,
तू सावन तू ही आषाढ़ l
पल-पल तेरी यादों में,
मैंने स्वयं को जलते देखा ll
कल रात तुझे सपने में देखा,
चाँद जमीं पर चलते देखा ll
चाँद जमीं पर चलते देखा l
स्वर्ग लगे है कितना सुन्दर,
आज यहीं धरती पर देखा ll
तुम हँस दो तो जीवन चलता,
तुम गाओ तो बहती पवनें,
कैसे अंकुर वृक्ष है बनता,
नभ से जीवन झरते देखा ll
तुमको पाना ध्येय यही अब,
राह तू ही मंजिल तू ही अब l
नित-नित अपने सपनों को,
नयी चुनौती पढ़ते देखा ll
धर्म-ग्रन्थ का तू ही सार,
तू सावन तू ही आषाढ़ l
पल-पल तेरी यादों में,
मैंने स्वयं को जलते देखा ll
कल रात तुझे सपने में देखा,
चाँद जमीं पर चलते देखा ll